Wednesday, May 4, 2016

Featured Post, Different Source (Post II)

बदनीयतों की चाल, परिन्दे को क्या पता
फैला कहाँ है जाल, परिन्दे को क्या पता

लोगों के कुछ लज़ीज़ निवालों के वास्ते,
उसकी खिंचेगी खाल, परिन्दे को क्या पता

इक रोज़ फिर उड़ेगा कि मर जाएगा घुटकर
इतना कठिन सवाल, परिन्दे को क्या पता

पिंजरा तो तोड़ डाला था, पर था नसीब में
उससे भी बुरा हाल, परिन्दे को क्या पता

देखा है जब से एक कटा पेड़ कहीं पर
है क्यूं उसे मलाल, परिन्दे को क्या पता

उड़ कर हजारों मील इसी झील किनारे
क्यूं आता है हर साल, परिन्दे को क्या पता

एक-एक कर के सूखते ही जा रहे हैं क्यों
सब झील नदी ताल, परिन्दे को क्या पता..


Post Name:  परिंदे को क्या पता..
Source:          Unknown

Sunday, May 1, 2016

Plan-ए-Bee

शहद सी मीठी तुम, क्यों ना तुम्हें Honey बुलाऊँ ?
पर तुम समझो न गलत और डाटों मुझको,
इसलिए बेहतर है  की मैं चुप हो जाऊँ..

मैं हूँ Bee और तुम हो फूलों में शहद के जैसी,
क्यों ना मैं तुम्हे अपने घर ले  जाऊं ?
क्यों ना कर इन हवाओं की सवारी,
मैं तुम्हे अपने घर वालों से मिलवाऊं?

लेकिन पता है मुझे, तुम्हें ना होगा पसंद ये सब,
इसलिए बेहतर है की इन ख्वाबों को मैं भूल जाऊं..

लेकिन, इस से ना होगा ऐतराज तुम्हें, अगर मैं नए plans बनाऊं,
तुम्हें पता लगने से पहले अपने ख्वाबों पे मैं जरा इतराऊ,
उनके सच होने के उम्मीद पे फिर मन हीं मन मैं मुस्कुराऊँ..

थोड़े गर्व से, पूरे दिल से फिर मैं तुम्हे आ अपने plans सुनाऊँ,
फिर पलके बिछाऊं, मिन्नतें मनाऊं की अब तो तुम्हे अपने तरफ पाऊं..

लेकिन जैसी उम्मीद मुझको, सारे plans पे मैं red cross पाऊं,
फिर थोड़ा पलके झुकाये हाथ रख अपने दिल को समझाऊँ,
थोड़ा कठिन पर, होंठो पे हंसी से अपने disappointments छुपाऊँ..

तुम्हे कह शुक्रिया, वापस चलूँ मैं, कोई motivational गीत गुनगुनाऊँ,
जल्दी पहुँचू घर अपने मैं, इत्मीनान से फिर नए plans बनाऊं..