इस उमंग में झलक आने वाले नमी की है...
तेरी उम्मीद, तेरे गम, तेरी चाहत की अब कमी सी है...
तेरी बातों की जिरह में रोशन रहा मन मेरा...
एक परछाईं है थोड़ी उदास सी इस रौशनी से लगे...
एक बिस्तर लगा है तेरी यादों का,
इन सन्नाटों के छाव कें तले...
सिलवटें हैं पड़ी इस नींद के सुकून के तले...
इंतज़ार में तेरे पलकें मेरी थक सी रहीं...
इस दिल की बातें सही और गलत में जूझती रहीं...
धुंधली हुई तेरे तस्सवुर की यादें भी सब...
दूभर है तेरी याद में मुस्कुराना भी अब...
एक अनकही सी कसक रह गयी इस दिल में...
तू चाहता तो सुनाता मैं सब...
सवालों की चोट है इस रात के अंधेरों में...
पतझड़ की आहटें हैं इस बहार की ओट में...
अनजानी हैं इस पतझड़ की रुकी बहारें...
फिर से उसी उमंग की राहें निहारें...
तेरी उम्मीद, तेरे गम, तेरी चाहत की अब कमी सी है...
तेरी बातों की जिरह में रोशन रहा मन मेरा...
एक परछाईं है थोड़ी उदास सी इस रौशनी से लगे...
एक बिस्तर लगा है तेरी यादों का,
इन सन्नाटों के छाव कें तले...
सिलवटें हैं पड़ी इस नींद के सुकून के तले...
इंतज़ार में तेरे पलकें मेरी थक सी रहीं...
इस दिल की बातें सही और गलत में जूझती रहीं...
धुंधली हुई तेरे तस्सवुर की यादें भी सब...
दूभर है तेरी याद में मुस्कुराना भी अब...
एक अनकही सी कसक रह गयी इस दिल में...
तू चाहता तो सुनाता मैं सब...
सवालों की चोट है इस रात के अंधेरों में...
पतझड़ की आहटें हैं इस बहार की ओट में...
अनजानी हैं इस पतझड़ की रुकी बहारें...
फिर से उसी उमंग की राहें निहारें...
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